योयो टेस्ट क्या होता है

योयो टेस्ट क्या होता है ? और यह क्रिकेट में खिलाड़ियों के चयन के लिए क्यों जरुरी है?

“योयो टेस्ट” एक प्रकार की फिजिकल फिटनेस टेस्ट होता है जो खिलाड़ियों की फिटनेस और एरोबिक क्षमता को मापने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इसका नाम उस डिवाइस से आता है जिसे प्लेयर दौड़ते समय एक रिवर्स बीप साउंड के साथ आगे-पीछे करते हैं, जैसे कि योयो की तरह। यह टेस्ट विभिन्न खेलों, जैसे कि क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, टेनिस, बास्केटबॉल, और अन्य खेलों में खिलाड़ियों की तैयारी और क्रिकेट चयन के लिए महत्वपूर्ण होता है।

योयो टेस्ट की शुरुआत कब और कहाँ हुई ?

“योयो टेस्ट” का विकास पहले फ्रांस में हुआ था, और इसका आविष्कार जॉन बाङ्क्स (Yves Le Mével) नामक फ्रेंच वैज्ञानिक द्वारा किया गया था। यह टेस्ट फिटनेस और एरोबिक क्षमता को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है, खासकर खेल के क्षेत्र में। योयो टेस्ट को विभिन्न खेलों, खिलाड़ियों, और टीमों की फिटनेस स्तर को मापने के रूप में अपनाया गया है और यह खिलाड़ियों की तैयारी को बेहतर बनाने में मदद करता है।

“योयो टेस्ट” का उपयोग खेल के कई प्रकार में किया जाता है, जैसे कि क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, टेनिस, बास्केटबॉल, और अन्य खेलों में खिलाड़ियों की तैयारी और प्रदर्शन को मापने के लिए। इसके चलते, योयो टेस्ट का विकास खेल संगठनों, खिलाड़ियों, और उनके कोचों के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रयोगशील उपकरण बन गया है, जो उनकी फिटनेस स्तर को मापने में मदद करता है और उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाता है।

योयो टेस्ट के कुछ मुख्य प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं:

फिटनेस की माप:

योयो टेस्ट खिलाड़ियों की फिटनेस को मापने का माध्यम होता है। यह दिखाता है कि एक खिलाड़ी कितनी दूर और कितनी तेजी से दौड़ सकता है और उसकी फिटनेस स्तर क्या है। यह टेस्ट पूरी तरह से टेक्नोलॉजी की मदद से लिया जाता है. भारत में इस टेस्ट का आयोजन राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी, बैंगलोर में लिया जाता है क्योंकि यह सॉफ्टवेयर वहीँ पर इन्सटाल्ड है.

एरोबिक क्षमता का मापन:

योयो टेस्ट एरोबिक क्षमता को मापने का एक अच्छा तरीका होता है। खिलाड़ी कितनी देर तक अच्छी तरह से दौड़ सकता है, यह बताता है कि उनका शारीरिक स्थिति कितनी बेहतर है और उनकी सामान्य स्वास्थ्य कैसी है।

खेल में प्रदर्शन की तैयारी:

योयो टेस्ट खिलाड़ियों को उनके खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार करता है। एक अच्छी फिटनेस स्तर से खिलाड़ी अधिक समय तक अच्छे प्रदर्शन कर सकते हैं और प्रतिस्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं।

चयन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण:

योयो टेस्ट का परीक्षण खिलाड़ियों के चयन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुभवी क्रिकेट संगठन और कोच इसे एक खिलाड़ी की क्षमता को मूल्यांकन करने के लिए एक महत्वपूर्ण मानक के रूप में देखते हैं।

फिटनेस की सुधारणा:

योयो टेस्ट के परिणामों के माध्यम से, खिलाड़ी अपनी फिटनेस को सुधारने की दिशा में काम कर सकते हैं। वे अपनी फिटनेस स्तर को बेहतर बना सकते हैं, जिससे उनका प्रदर्शन खेल में भी बेहतर हो सकता है।

चोट और चिकित्सा सुरक्षा:

योयो टेस्ट से पता चलता है कि खिलाड़ी कितनी अच्छी तरह से फिट हैं, जिससे उनकी चोटों का खतरा कम होता है। यह चिकित्सा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।

योयो टेस्ट की प्रक्रिया क्या है।

“योयो टेस्ट” की प्रक्रिया खिलाड़ियों की फिटनेस और एरोबिक क्षमता को मापने के लिए डिज़ाइन की जाती है। यह टेस्ट किसी खिलाड़ी की शारीरिक तय करने में मदद करता है कि वह खेल में कितने प्रदर्शन कर सकता है और कितनी तैयारी करनी होगी। योयो टेस्ट की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में विभाजित होती है:

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Image Credit: Jagranjosh.com
  • तैयारी: खिलाड़ी को योयो टेस्ट के लिए तैयार किया जाता है। इसमें उन्हें उचित शारीरिक व्यायाम करना, सही तरीके से खानपान करना, और फिटनेस स्तर को उचित रूप से बनाए रखना शामिल होता है।
  • टेस्ट के आयोजन: योयो टेस्ट का आयोजन विशेषज्ञ कोच या फिटनेस ट्रेनर द्वारा किया जाता है। टेस्ट के लिए खिलाड़ी को एक खुले मैदान पर लाया जाता है जिसमें एक निर्धारित दूरी के साथ दो मार्कर प्लेस किए जाते हैं।
  • टेस्ट का आरंभ: खिलाड़ी के सामने एक योयो टेस्ट एप्लिकेशन डिवाइस होता है, जिसमें साउंड और टाइमिंग स्क्रीन होती है। टेस्ट का आरंभ होते ही, खिलाड़ी को दौड़ने की निर्देश दी जाती है।
  • दौड़ की प्रक्रिया: खिलाड़ी को एक मार्कर से दूसरे मार्कर तक दौड़ना होता है जब बीप साउंड होता है। खिलाड़ी को बीप के साथ दौड़ना होता है और उसे दूरी को पार करना होता है।
  • टेस्ट की दुरुपयोगन: खिलाड़ी को बीप के साथ दौड़ते रहना होता है और बीप के बाद एक निर्धारित समय के भीतर वापस जाना होता है। खिलाड़ी की दौड़ की गति बीप के साथ बढ़ती जाती है, और वह इस प्रक्रिया को जारी रखते हैं जब तक वे दौड़ने में सक्षम नहीं रहते हैं।
  • प्रतिष्ठान की ग्रेडिंग: योयो टेस्ट के परिणामों के आधार पर खिलाड़ी को एक ग्रेड दी जाती है, जिसमें उनकी फिटनेस स्तर को व्यक्त किया जाता है। इस ग्रेडिंग से खिलाड़ी की फिटनेस क्षमता को मूल्यांकित किया जाता है और उनकी तैयारी की दिशा में मदद मिलती है।
  • तैयारी योजना: योयो टेस्ट के परिणामों के आधार पर, खिलाड़ी को उनकी फिटनेस को सुधारने के लिए एक तैयारी योजना तैयार की जा सकती है। इसमें उचित व्यायाम, आहार, और विशेषज्ञ कोच की सलाह शामिल हो सकती है।

इस तरीके से, “योयो टेस्ट” एक खिलाड़ी की फिटनेस और एरोबिक क्षमता को मापने का माध्यम होता है और उनकी तैयारी को मदद करता है ताकि वे अपने खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

योयो टेस्ट कितने प्रकार का होता है?

“योयो टेस्ट” कई प्रकार के हो सकते हैं, जो खिलाड़ियों की फिटनेस और एरोबिक क्षमता को मापने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इन प्रकारों में से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हो सकते हैं:

योयो इंटरमिटेंट रिकवरी टेस्ट (YYIRT): यह टेस्ट एक विशिष्ट प्रकार की योयो टेस्ट होता है जिसमें खिलाड़ी को दौड़ के बीच में निर्धारित समय के अंदर आराम करने की अनुमति नहीं होती है। इसमें बीप साउंड के साथ खिलाड़ी को दौड़ते रहना होता है, और जब बीप बंद होता है, तो वह अगले बीप के साथ फिर से दौड़ना शुरू करते हैं। टेस्ट के साथ साथ की दौड़ और आराम के बीच की दूरी बढ़ती जाती है, जो खिलाड़ी की एरोबिक क्षमता को मापने के लिए महत्वपूर्ण है।

योयो मल्टी-लेवल टेस्ट (YMT): इस टेस्ट में, खिलाड़ी को विभिन्न स्पीडों और आराम की गतियों के साथ दौड़ना होता है, जिसका मतलब होता है कि उन्हें दौड़ते समय गतियों को सुधारना होता है। यह टेस्ट खिलाड़ी की शारीरिक तैयारी को समय के साथ बेहतर बनाने में मदद करता है और उनकी एरोबिक क्षमता को मापने के लिए उपयोगी होता है।

योयो एग्जिट टेस्ट (YET): इस टेस्ट में, खिलाड़ी को एक निश्चित समय के लिए दौड़ते रहना होता है, और उन्हें बीप साउंड के साथ दौड़ना होता है। टेस्ट के अंत में, खिलाड़ी को एक विशिष्ट लेवल पर बंद करना होता है और उनकी फिटनेस क्षमता को मापने के लिए उनकी आखिरी सफल दौड़ की स्तर को नोट किया जाता है।

योयो इंटरमिटेंट रिकवरी लेवल-2 (YYIR2): यह टेस्ट एक उन्नत स्तर का योयो इंटरमिटेंट रिकवरी टेस्ट होता है जिसमें खिलाड़ी को और अधिक आराम के बीच दौड़ना होता है। यह उनकी फिटनेस क्षमता को और अधिक सटीकता से मापने के लिए डिज़ाइन किया जाता है।

योयो टेस्ट के इन प्रकारों में से प्रत्येक का उद्देश्य खिलाड़ी की फिटनेस और एरोबिक क्षमता को मापना है, और उनके खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए उनकी तैयारी को मदद करना है। इनमें से प्रकार का चयन खिलाड़ी की आवश्यकताओं और उनके खेल के प्रकार के आधार पर किया जा सकता है।

कौन खिलाड़ी पास कर पाता है टेस्ट को

इस टेस्ट को पार करने के लिए भारतीय खिलाडियों को 16.1 का स्कोर पार करना होता है, इसका मतलब खिलाड़ी को 567 सेकेंड में 1120 मीटर की दूरी तय करनी होती है.

इस टेस्ट में पास होने के लिए अलग-अलग टीमों के अपने अलग-अलग मानक हैं. भारतीय टीम का मानक अन्य टीमों की तुलना में कमजोर है.

  • ऑस्ट्रेलिया– खिलाड़ियों के लिए 20.1 अंक लाना अनिवार्य
  • इंग्लैंड– खिलाड़ियों के लिए 19 अंक लाना अनिवार्य
  • दक्षिण अफ्रीका– खिलाड़ियों के लिए 18 अंक लाना अनिवार्य
  • श्रीलंका– खिलाड़ियों के लिए 17.4 अंक लाना अनिवार्य
  • पाकिस्तानी– खिलाड़ियों के लिए 17.4 अंक लाना अनिवार्य
  • भारत– खिलाड़ियों के लिए 16.1 अंक लाना अनिवार्य

योयो टेस्ट के अलावा कौनसे टेस्ट खिलाड़ियों की फिटनेस क्षमता बता सकते है ?

खिलाड़ियों की फिटनेस क्षमता को मापने के लिए “योयो टेस्ट” के अलावा भी कई अन्य प्रकार के टेस्ट और मापन उपकरण होते हैं, जो खिलाड़ियों की फिटनेस स्तर को बता सकते हैं। यहां कुछ मुख्य फिटनेस टेस्ट और मापन उपकरण हैं:

वो2 मैक्स टेस्ट: यह टेस्ट खिलाड़ियों की मैक्सिमम ऑक्सीजन उपभोग (वो2 मैक्स) को मापने के लिए होता है, जिससे उनकी एरोबिक क्षमता की जाती है। खिलाड़ी को एक विशिष्ट समय के लिए ज़ोर से दौड़ना होता है और उनके ऑक्सीजन उपभोग को मापा जाता है।

स्प्रिंट टेस्ट: स्प्रिंट टेस्ट में, खिलाड़ी को एक संकेत दिया जाता है और उन्हें महत्वपूर्ण दूरी को जल्दी से दौड़ना होता है। इससे उनकी शारीरिक गति और मासिक स्प्रिंट क्षमता मापी जा सकती है।

स्ट्रेंथ टेस्ट: यह टेस्ट खिलाड़ियों की शारीरिक ताकत और स्थिरता को मापने के लिए होता है, जिसमें वे विभिन्न प्रकार के वजन या उपकरणों को उठाने का प्रयास करते हैं।

फ्लेक्सिबिलिटी टेस्ट: फ्लेक्सिबिलिटी टेस्ट में खिलाड़ी की शारीरिक लचक और टांगों, कूल्हों, और कमर की फ्लेक्सिबिलिटी की मापन की जाती है।

बॉडी कॉम्पोजिशन टेस्ट: इस टेस्ट में खिलाड़ियों की शारीरिक संरचना, बॉडी मास इंडेक्स (BMI), और शरीर की फैट प्रतिशत की मापन किया जाता है।

प्लायोमेट्रिक टेस्ट: यह टेस्ट खिलाड़ियों की शारीरिक क्षमता को मापने के लिए होता है और उनकी जमीन पर उछलने और दौड़ने की क्षमता को दर्ज करता है।

इन टेस्टों का उपयोग खिलाड़ियों की तैयारी को मापने और सुधारने के लिए किया जाता है, और उनके खेल में बेहतर प्रदर्शन की दिशा में मदद कर सकता है।

क्या सभी क्रिकेट बोर्ड योयो टेस्ट का प्रयोग करते है?

नहीं, सभी क्रिकेट बोर्ड योयो टेस्ट का इस्तेमाल नहीं करते हैं, और यह केवल कुछ क्रिकेट टीमों और खिलाड़ियों के लिए एक फिटनेस और एरोबिक क्षमता की मापन तकनीक है।

योयो टेस्ट का इस्तेमाल आमतौर पर वो क्रिकेट टीमों और खिलाड़ियों के बीच की फिटनेस स्तर को मापने के लिए किया जाता है, ताकि वे खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें और चाहें तो इसके आधार पर तैयारी कर सकें। यह खेल संगठनों और कोचों को खिलाड़ियों की तैयारी को स्थिर करने और सुधारने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

कुछ क्रिकेट टीम्स और खिलाड़ियों ने योयो टेस्ट को अपनी तैयारी में महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में अपनाया है, जबकि अन्य टीम्स और खिलाड़ियों ने अपनी तैयारी के लिए अन्य फिटनेस टेस्ट और मापन उपकरण का उपयोग किया है। टीम और खिलाड़ी के प्रशासनिक और कोचिंग स्टाफ के विचारों के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि कौनसा टेस्ट उपयुक्त है और कैसे खिलाड़ी की तैयारी को समर्थन कर सकता है।

About Isha Pannu

Isha Pannu, a seasoned content writer and dedicated cricket expert, brings over three years of invaluable experience to the realm of cricket journalism. Her proficiency extends to crafting compelling cricket news, delving into player records, and analyzing intricate statistics. Hailing from the bustling city of Delhi, Isha's roots run deep in the world of cricket. With a solid educational foundation, including an MBA degree and a Bachelor of Commerce (Hons) in English, she blends her academic acumen with an unrelenting passion for cricket. Isha's specialization also extends to women's cricket, where she delivers insightful content, making her a prominent figure in the cricket content landscape.

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