भारत में बहुत सारे लोग बेटिंग करना पसंद करते हैं। हालांकि भारत में बेटिंग को लेकर कुछ कानून बने हुए हैं, जो Public Gambling Act, 1867 पर आधारित हैं। हालांकि देश में विदेशी वेबसाइटों पर ऑनलाइन क्रिकेट बेटिंग करना गैरकानूनी नहीं है, क्योंकि एक्ट में इसके संबंध में कोई भी उल्लेख नहीं है।
लेकिन ऑफलाइन गैंबलिंग या बेटिंग करना या कराना एवं गैंबलिंग हाउस चलाना गैरकानूनी माना गया है। लेकिन फिर भी भारत में बेटिंग करने वालों की संख्या अधिक है। कई सारे लोग लगातार हारने के बावजूद भी बेटिंग करते रहते हैं। यहां पर हम आपको बताएंगे कि पंटर हारने के बावजूद बेटिंग क्यों करता है?
आपको बता दें कि भारत में बेटिंग का को लेकर कोई कड़ा कानून नहीं है। क्योंकि पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बेटिंग या गैंबलिंग करता हुआ या गैंबलिंग हाउस चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर ₹200 का जुर्माना या 3 महीने की जेल हो सकती है। यह एक्ट अलग-अलग राज्यों को बेटिंग और गैंबलिंग से संबंधित कानून बनाने की अधिकार भी देता है। इसीलिए कई राज्यों में गैंबलिंग हाउस को प्रतिबंधित नहीं किया गया है, जबकि कई राज्यों में यह प्रतिबंधित है।
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पंटर हारने के बावजूद बेटिंग क्यों करता है?
बेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आपकी जीत की कोई गारंटी नहीं होती है, क्योंकि यह किस्मत का खेल होता है। उदाहरण के रूप में यदि आप क्रिकेट बेटिंग करते हैं तो आपको इस बात की जानकारी नहीं होती है कि अगली गेंद पर क्या हो सकता है। यदि आप अगली गेंद के लिए बेट लगाते हैं तो यह आपकी किस्मत पर निर्भर करता है कि आपके द्वारा लगाया गया बेट सफल हो। इसे मौके का खेल (Game Of Chance) भी कहा जा सकता है।
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हालांकि क्रिकेट बेटिंग में सफलता पाने के लिए कई पंटर इससे सम्बंधित रणनीतियां भी बनाते हैं और इसे कौशल का खेल (Game Of Skill) बताने का तर्क भी दिया जाता है। भारत में ऑनलाइन क्रिकेट बेटिंग वेबसाइट इसे कौशल का खेल बताकर ही काम कर रही हैं, जिसके चलते देश में बेटिंग करने वालों की संख्या काफी बढ़ी है।
जब पंटर कोई बेट हार जाता है और उसके पास पैसे होते हैं तो वह अगली बेट जरूर लगाता है। क्योंकि हर हारने वाले पंटर को यह उम्मीद होती है कि वह अगले बेट में जीत हासिल करेगा। इस तरह से यदि आपके द्वारा बनाई गई रणनीति सफल नहीं होती है और जीत नहीं मिलती है तो यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।
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कई बार पंटर एक बेट हारने के बाद अगला बेट अधिक राशि का लगाता है, ताकि वह बेट जीतने के बाद उसकी पिछली हार कवर हो सके और मुनाफा भी मिल सके। पंटर हारने के बावजूद बेटिंग क्यों करता है, इसके मुख्य 3 कारण हो सकते हैं, जिसके बारे में हम नीचे बात करने जा रहे हैं:
1. पिछली हार को कवर करने के लिए: जब कोई पंटर कोई बेट हार जाता है तो वह अपनी हार को कवर करने के लिए अगली बेट लगाता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि उसे अगले बेट में जीत ही मिल जाए।
2. अगला बेट जीतने की संभावना: हर पंटर लगभग सोच समझ कर ही बेट लगाता है और उसे अगली बेट जीतने की संभावना दिखाई देती है। इसीलिए वह हारने के बाद भी बेट लगाता रहता है, ताकि उसे जीत मिल सके।
3. अपनी रणनीति पर विश्वास: कई सारे अनुभवी पंटर बेटिंग करने से पहले रणनीतियां बनाते हैं और उन्हें अपने रणनीति पर विश्वास होता है। इस रणनीति के दौरान उन्हें किसी बेट में हार मिल सकती है या ऐसा भी हो सकता है कि उनकी रणनीति पूरी तरह से फ्लॉप चली जाए। लेकिन फिर भी वे अपने रणनीति पर भरोसा करते हुए हारने के बावजूद भी बेट लगाते हैं।
4. जोखिम लेने की आदत: कई लोगो को जोखिम लेने की आदत होती है, उन्हें लगता है जोखिम भरी बेट खेलने से अच्छा अमाउंट जीता जा सकता है। एक ही बेट जीतने पर उसका सारा लॉस कवर हो जायेगा, साथ ही पास में धन भी एकत्र हो जायेगा। ऐसी बेट उनके अंदर एक थ्रिल का अनुभव महसूस करवाती है।
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5. गैंबलिंग की लत: जुआ खेलना एक खराब आदत होती है, कई लोगो को इसकी आदत लग जाती है। इस आदत से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है, उसके बाद फ़र्क़ नहीं पड़ता की आप जीत रहे हो या हार रहे हो। इस आदत के कारण अपना सब कुछ हारने के बावजूद लोग कही से भी पैसा लेकर अगली बेट खेलते है।
6. कोई हारना नहीं चाहता: लाइफ में हर इंसान जीतना चाहता है, बात सही भी है। परन्तु अपनी हार स्वीकार करना भी अच्छा होता है। पर कुछ लोग हारने पर इसे अपने अहम् पर ले लेते है। वो कभी हारना नहीं चाहते, इसलिए हारने पर वो और खेलना शुरू कर देते है। इसके बदले चाहे अपना सब कुछ खोना पड़ जाये पर आप अगली बेट खेलते है।