आज के दिन 22 सितम्बर : टेस्ट इतिहास का दूसरा टाई टेस्ट, भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया

एक टेस्ट मैच जिसमे दोनों टीम का स्कोर एक सामान स्थिति पर अंत होता है, उसे टाई मैच कहते है। यूँ तो ODI और T20 मैच टाई होते रहते है, पर टेस्ट मैच में ये एक दुर्लभ परिणाम है। 1877 से अब तक खेले गए 2,000 टेस्ट में से केवल दो टेस्ट ही टाई हुए हैं। पहला 1960 में था और दूसरा 1986 में।

पहला टाई टेस्ट मैच वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था। यह मैच 9 सितम्बर से 14 दिसंबर 1960 में ऑस्ट्रेलिया में “गाबा” नाम के मशहूर ब्रिसबेन क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया था।

दूसरा टाई टेस्ट मद्रास में हुआ। ये टाई मैच 18 से 22 सितंबर 1986 के बीच भारत के एम चिदंबरम स्टेडियम, चेपक, मद्रास में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच खेली गई तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला का पहला टेस्ट था।

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ऑस्ट्रेलिया पहली पारी

तीसरे दिन ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट पर 574 रन बनाए। डीन जोन्स ने 210 रन बनाए, जो तब भारत में एक टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई बैट्समैन द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर था, जिसमे उन्होंने 330 गेंदों का सामना किया और 27 चौके और 2 छक्के लगाए। गर्मी की थकावट से पारी पूरी होने के बाद उन्हें अस्पताल में इलाज कराना पड़ा। ऑस्ट्रेलियाई कोच बॉब सिम्पसन ने इसे “ऑस्ट्रेलिया के लिए खेली गई सबसे बड़ी पारी” के रूप में वर्णित किया। डेविड बून ने 122 और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एलन बॉर्डर ने 106 रन बनाए।

भारत की पहली पारी

भारत ने तीसरे दिन के अंत तक 270 रनों पर 7 विकेट गंवा दिए और 397 रन बनाकर ऑल आउट हो गए और 177 रनों से पीछे रह गए। बरहाल भारत फॉलो ऑन बचाने में कामयाब हुआ। भारतीय कप्तान कपिल देव ने 119 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग मैथ्यूज ने 103 रन पर 5 विकेट ली। इस टेस्ट में, सुनील गावस्कर लगातार 100 टेस्ट खेलने वाले पहले टेस्ट क्रिकेटर बने।

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ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी

ऑस्ट्रेलिया ने चौथे दिन की समाप्ति पर 5 विकेट पर 170 रन बनाए और अपनी पारी को घोषित किया। भारत को जीत के लिए 348 रनों का लक्ष्य दिया।

भारत की दूसरी पारी

सकारात्मक शुरुआत करते हुए, भारत 2 पर 204 पर पहुंच गया, तब 90 रन के व्यक्तिगत स्कोर बनाकर गावस्कर तीसरे विकेट के रूप में आउट हुए। चंद्रकांत पंडित के आउट होने पर भारत 5 पर 291 पर पहुंच गया। अंतिम ओवर में भारत की टीम 9 विकेट गवाँकर 344 रनों पर थी। भारत को 6 गेंदों पर जीत के लिए चार रनों की जरूरत थी, जिसमें केवल एक विकेट शेष था।

आखिरी ओवर में केवल 3 रन आये और ओवर की पांचवी बॉल पर मनिंदर सिंह पगबाधा आउट करार दिए गए। भारत 347 पर ऑल आउट हो गया और ये मैच टेस्ट क्रिकेट इतिहास में दूसरा टाई मैच बना।

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